बिहार में इसी साल के आखिर में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं. सारे राजनीतिक दल अपने-अपने गुणा गणित में लगे हुए हैं. नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव और उनकी पार्टी पूरे तरीके से अपनी रणनीति को बनाने में लगी हुई है. लेकिन एक बड़ा सवाल यह भी है कि क्या विधानसभा चुनाव से पहले राजद को नया प्रदेश अध्यक्ष मिलेगा या फिर जगदानंद सिंह ही राजद की कमान को संभालेंगे?
इस साल जनवरी माह में राष्ट्रीय जनता दल की तरफ से सभी अहम संगठनात्मक चुनाव के कार्यक्रमों के शेड्यूल को जारी किया गया था. जिसके अनुसार, आगामी चार जुलाई को पार्टी के राष्ट्रीय अधिवेशन के मसौदे और प्रस्ताव पर विचार करने के लिए राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक तय की गई थी. पांच जुलाई को राष्ट्रीय परिषद की बैठक और राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव और उसी दिन नवनिर्वाचित राष्ट्रीय अध्यक्ष की अध्यक्षता में राष्ट्रीय जनता दल के खुले अधिवेशन को आयोजित किया जाएगा.
जून में नया प्रदेश अध्यक्ष!
इससे पहले आगामी जून महीने में पार्टी की सभी जिला इकाई तथा जिलों से राज्य परिषद के सदस्यों का चुनाव किया जाएगा. जबकि 12 जून को राज्य परिषद के सदस्यों की सूची को प्रकाशित भी कर दिया जाएगा. 21 जून को राज्य परिषद की बैठक में प्रदेश अध्यक्ष राज्य कार्यकारिणी के सदस्य और राष्ट्रीय परिषद के सदस्यों का चुनाव किया जाएगा. यानि राष्ट्रीय जनता दल का नया प्रदेश अध्यक्ष कौन होगा? इस बात पर मुहर लगने में अब बहुत कम वक्त बच गया है. 21 जून को यह तय हो जाएगा कि क्या पार्टी प्रदेश अध्यक्ष के चेहरे के रूप में किसी नए नाम पर विश्वास करेगी या फिर इस साल होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए जगदानंद सिंह हीं सेनापति होंगे.
मंगनीलाल मंडल का नाम सबसे आगे
दरअसल राष्ट्रीय जनता दल के सूत्रों और पार्टी से जुड़े वरिष्ठ लोगों की माने तो नए प्रदेश अध्यक्ष के रूप में मंगनी लाल मंडल का भी नाम अहम हो सकता है. मंगनी लाल मंडल ने इसी साल जनवरी माह में जनता दल यूनाइटेड से इस्तीफा दिया था. तब वह पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष थे. मंगनी लाल मंडल आरजेडी से ही जदयू में गए थे. उनकी गिनती अति पिछड़ों के बड़े नेता के रूप में होती है. जब मंगनी लाल मंडल ने राजद में वापसी की थी तो बिहार में सियासी बयान बाजी का यह दौर शुरू हो गया था.
कहा जा रहा था कि अति पिछड़ों के नेता के रूप में मंगनी लाल मंडल की घर वापसी कराकर के आरजेडी आने वाले विधानसभा चुनाव में कोई बड़ा खेल रचने की तैयारी में है. यहां तक की मंगनी लाल मंडल ने जब आरजेडी में अपनी घर वापसी की थी तब उन्होंने कहा था कि लालू यादव हमारे नेता है. पुराने सहयोगी रह चुके हैं. मैं अपने पुराने घर में लौट आया हूं.
तेजस्वी करते रहते हैं समीक्षा
बिहार की राजनीति में अति सक्रिय तेजस्वी यादव पार्टी के सभी कार्यों की समीक्षा करते रहते हैं. खुद तेजस्वी यादव नियमित अंतराल पर पार्टी के प्रदेश कार्यालय में आकर पार्टी नेताओं, कार्यकर्ताओं से कार्यों की समीक्षा करते रहते हैं. पार्टी के करीब करीब हर निर्णय में तेजस्वी यादव की सहमति रहती है.
जगदानंद सिंह की पार्टी ऑफिस में उपस्थित कम
दरअसल, बिहार में पिछले साल चार सीटों पर हुए विधानसभा उपचुनाव के बाद से ही जगदानंद सिंह की राजद प्रदेश कार्यालय में उपस्थित न के बराबर रही है. विधानसभा उपचुनाव में जगतानंद सिंह के बेटे को रामगढ़ विधानसभा सीट पर हार का सामना करना पड़ा था. जबकि रामगढ़ विधानसभा सीट राष्ट्रीय जनता दल की परंपरागत सीट मानी जाती है. इस सीट पर राजद की हार किसी झटके से काम नहीं थी.
इस चुनाव परिणाम के बाद से ही राष्ट्रीय जनता दल के प्रदेश कार्यालय में जगदानंद सिंह की उपस्थिति न के बराबर हो गई. पार्टी सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार जगदानंद सिंह चुनाव परिणाम के बाद केवल एक बार पार्टी कार्यालय में आए थे. हालांकि बीच में यह चर्चा भी जोरों पर थी कि जगदानंद सिंह ने प्रदेश अध्यक्ष पद से हटने की बात कही थी. यह भी बात सामने आई थी कि वह विभिन्न कारणों का हवाला देकर के पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष के पद से इस्तीफा देना चाहते हैं.
नहीं करते खुल कर बात
पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष के रूप में कौन नया नाम होगा, इस बारे में पार्टी की तरफ से कोई भी नेता खुल कर बात नहीं करता है. पार्टी नेताओं की माने तो यह मामला शीर्ष नेतृत्व का है. इसे पार्टी का शीर्ष नेतृत्व ही तय करेगा. क्योंकि जगदानंद सिंह हो या फिर मंगनीलाल मंडल, दोनों की ही गिनती राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद के अति निकट सहयोगियों में होती है.
अब तक दूसरा लंबा कार्यकाल
1997 में जब राष्ट्रीय जनता दल की स्थापना हुई थी तब से लेकर अब तक राजद के राष्ट्रीय अध्यक्ष के रूप में लालू प्रसाद ही रहे हैं. जबकि इस दौरान छह प्रदेश अध्यक्ष पार्टी को मिल चुके हैं. जब राष्ट्रीय जनता दल की स्थापना हुई थी, तब इसके पहले प्रदेश अध्यक्ष कमल पासवान को बनाया गया था लेकिन उनका कार्यकाल महज 24 दिन का ही रहा था. इसके बाद उदय नारायण चौधरी को प्रदेश अध्यक्ष की कमान सौंपी गई. उदय नारायण चौधरी का कार्यकाल 30 जुलाई 1997 से 17 अप्रैल 1998 तक रहा. पीतांबर पासवान को राजद का तीसरा प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया था. पीतांबर पासवान का कार्यकाल 18 अप्रैल 1998 से 29 सितंबर 2003 तक रहा.
जब बिहार का बंटवारा हुआ, तब पीतांबर पासवान ही राजद के प्रदेश अध्यक्ष थे. इसके बाद 2003 में अब्दुल बारी सिद्दीकी को पार्टी का प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया था. वह इस पद पर 2010 तक रहे. 2010 में रामचंद्र पूर्वे को पार्टी का प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया. वह 2019 तक इस पद पर बने रहे. 2019 में जगदानंद सिंह को राजद के प्रदेश अध्यक्ष की कमान सौंपी गई थी जो आधिकारिक तौर पर अभी जारी है. यानी प्रदेश अध्यक्ष के कार्यकाल की अवधि को देखें तो अभी तक का सबसे लंबा कार्यकाल डॉक्टर रामचंद्र पूर्वे का रहा है और दूसरे नंबर पर फिलहाल जगदानंद सिंह का नाम है. जगदानंद सिंह के साथ एक और अनोखी उपलब्धि जुड़ी है कि वह राजद के पहले सवर्ण प्रदेश अध्यक्ष भी हैं.